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Bihar Board Class 5 Kopal Hindi Book Solutions Chapter 6 उपकार का बदला

 Bihar Board Class 5 Kopal Hindi Solutions Chapter 6 उपकार का बदला

BSEB Bihar Board Class 5 Hindi Book Solutions Chapter 6 उपकार का बदला-रामदेव झा 

 
अभ्यास के प्रश्न एवं उत्तर
पाठ में से :
 
प्रश्न 1. कहानी में जो-जो हुआ उनके सामने का निशान ✓ लगाइए :
 
(क) सोमन ताड़ के पंखे बेचता था ।  [ ]
(ख) सोमन ने बंदर के बच्चे को गुलगुला दिया । [ ]
(ग) बंदर सोमन के दो पंखे लेकर चला गया ।  [ ]
(घ) बंदर सोमन के लिए पपीता लाया था ।  [ ]
(ङ) बंदर पैसे के बदले पपीता लाया था।  [ ]
(च) सोमन छह रुपये जोड़े में पंखे बेचता था । [ ]
उत्तर – कथन क, ग, घ सही हैं। ख, ङ और च गलत हैं।

Bihar Board class 5 Hindi chapter 6 question answer प्रश्न 2. 
सोमन गुज़ारे के लिए क्या करता था ?
उत्तर – सोमन गुज़ारे के लिए कचहरी, बाजार, मुहल्लों में घूम-घूमकर पंखे बेचता था ।
 
उपकार का बदला Question Answer प्रश्न 3. 
सोमन को बंदर पर दया क्यों आ गई ?
उत्तर – सोमन को खाते देखकर बंदर उसकी तरफ टुकुर-टुकुर देख रहा था। बंदर भूखा था। इसीलिए उस पर दया आ गई ।

उपकार का बदला solutions Class 5 प्रश्न 4. 
बंदर किसके बदले में पपीता लाया था ?
उत्तर – बंदर दो पंखे के बदले में या उपकार के बदले में पपीता लाया था ।

Bihar Board class 5 Hindi book solution chapter 6 प्रश्न 5. 
भद्रपुरुष ने सोमन को दो पंखों के बदले कितने पैसे दिए ?
उत्तर – भद्रपुरुष ने सोमन को दो पंखों के बदले में पाँच रुपये दिए ।

बातचीत के लिए :
Bihar Board Class 5 Hindi Book Solutions प्रश्न 1. 
सोमन अपने पंखे बेचने के लिए कैसे आवाज़ लगाता था ?
आप पंखों को बेचने के लिए कैसे आवाज़ लगाएँगे?
उत्तर – सोमन अपने पंखे बेचने के लिए 'पंखा, ले लो, पंखा' की हाँक लगाता था। मैं भी उसी की तरह हाँक लगाऊँगा ।

Bihar board class 5 Hindi book solutions chapter 6 प्रश्न 2. 
सामान बेचने वाले अपने सामान बेचने के लिए आवाज़ क्यों लगाते हैं ?
उत्तर – सामान बेचनेवाले अपने सामान बेचने के लिए लोगों को अपने सामान की ओर ध्यान आकृष्ट करने के लिए हाँक लगाते हैं ताकि वे उन सामानों को खरीदें ।

Bihar board class 5 hindi book question answer प्रश्न 3. 
अगर आपको ये सामान बेचने पड़े तो आप कैसे आवाज़ लगाएँगे : मखाना, आम, चप्पल ?
उत्तर – यदि हमें इन सामानों को बेचना पड़ा तो मैं भी कहूँगा -
मखाना, ले लो, मखाना ।
आम, ले लो, आम ।
चप्पल, ले लो, चप्पल ।

Upkar ka badla Question Answer class 5 Bihar Board प्रश्न 4. 
बंदर ने सोमन की क्या सहायता की और कैसे ?
उत्तर - बंदर ने सोमन को उदास देखकर नज़दीक के डेरे से पपीता तोड़कर लाया और सोमन ने उसे खाकर अपनी भूख मिटाई । सोमन बन्दर को नित्य कुछ न कुछ खाने अवश्य देता था। इसी उपकार का बदला बंदर ने पपीता लाकर चुकाया ।

Bihar Board Class 5 Hindi प्रश्न 5. 
क्या सोमन ने बंदर को अपने साथ रखा था ?
उत्तर – सोमन बंदर को साथ नहीं रखता था, बल्कि दोपहर में जहाँ वह विश्राम करता था वहीं पास के एक बगीचा में रहनेवाले बंदरों में से एक सोमन के पास आ जाता था ।

उपकार का बदला Questions And Answers Bihar Board प्रश्न 6. 
आज ताड़ के पंखे का दाम क्या है?
उत्तर—आज के ताड़ के पंखे का दाम पन्द्रह रुपये जोड़ा है।

क्या होता :
प्रश्न 1. अगर सोमन ने बंदर को खाने का सामान न दिया होता ?
उत्तर – अगर सोमन ने बंदर को खाने का सामान न दिया होता तो बंदर उसके लिए अधपका पपीता तोड़कर नहीं लाता ।
प्रश्न 2. अगर भद्रपुरुष बंदर को पपीता न लेने देता ?
उत्तर – यदि भद्रपुरुष बंदर को पपीता न लेने देता तो सोमन तथा बन्दर दोनों को भूखे रहना पड़ता ।

खोजबीन :
प्रश्न 1. कहानी में से उस अंश को खोजिए जिनसे पता चलता
है कि सोमन और बंदर एक-दूसरे के मन की बात समझते हैं ।
उत्तर – “सोमन लेटे हुए ही बंदर की ओर देखकर बोला – हे हनुमान जी! आज तो एक भी पंखा नहीं बिका। इसलिए खाने के लिए कुछ नहीं लाया । तुम्हें क्या दूँ ? आज तुम भी संतोष करो।" बंदर खोखियाते हुआ आया और पपीते सोमन की ओर लुढ़का दिया। सोमन को पपीता उठाते देखकर बंदर आश्वस्त हो गया ।

प्रश्न 2. सोमन बहुत दयालु है।
उत्तर – बंदर भूखा था । वह सोमन की तरफ टुकुर-टुकुर देख रहा था । सोमन को उस पर दया आ गई। उसने दो गुलगुले उसकी तरफ फेंके। बंदर ने लपककर उठाया और खा लिया।

प्रश्न 3. गर्मी के मौसम की बात है ।
उत्तर–गर्मी के दिनों में कचहरी, बाजार और मुहल्लों में घूम-घूमकर पंखे बेचता था। दोपहर के समय पेड़ के नीचे विश्राम करता था ।

प्रश्न 4. भद्रपुरुष भला आदमी था ।
उत्तर – जब बंदर जैसे जंगली जन्तु में इतना विवेक है, तब मैं तो मनुष्य हूँ। तुम्हारा पंखा मैं कैसे लूँगा। तुम पंखों को छोड़ दो। इनका दाम बताओ। सरकार, यह बिकता तो चार रुपये जोड़ा है। लेकिन आप जो देंगे, वह मेरे लिए बहुत होगा । भद्रपुरुष ने जेब से पाँच रुपये का सिक्का निकाल कर सोमन
को दे दिया ।

समझ की बात :
प्रश्न 1. दोपहर को सोमन के पंखे क्यों नहीं बिकते थे ?
उत्तर – दोपहर को सोमन के पंखे इसलिए नहीं बिकते थे, क्योंकि लोग गर्मी के कारण आराम करने लग जाते थे ।

प्रश्न 2. मुरही, फुटहा, कचड़ी, गुलगुला कैसे बनते हैं?
उत्तर :
मुरही - चावल को गरम बालू में भूनकर बनाया जाता है।
फुटहा- – चना तथा मटर को बालू में भूनकर बनाया जाता है।
कचड़ी – प्याज एवं मिर्च काटकर बेसन के साथ मिलाकर तेल में तला जाता है।
गुलगुला—ऑटे एवं गुड़ को मिलाकर तेल में तल कर बनाया जाता है।

प्रश्न 3. बंदर सोमन पर क्यों गुर्राया था ?
उत्तर – बंदर सोमन पर इसलिए गुर्राया ताकि वह पपीता को उठाए और छीलकर खाए एवं खिलाए ।

आपकी भाषा में :
प्रश्न 1. आप अपनी मातृभाषा में नीचे लिखे शब्दों, वाक्यों को
कैसे कहेंगे ?

* गुलगुला, गठरी, पपीता, कारनामा, छह रुपए जोड़ा
*'सरकार ! तब यह पंखा मैं नहीं लूँगा ।'
*'पंखा ले लो, पंखा !'
*'ये कहाँ से ले आए तुम ?'
उत्तर- छात्र स्वयं अपनी भाषा में लिखें ।

प्रश्न 2. इस कहानी को अपनी मातृभाषा में सुनाइए ।
उत्तर – कहानी का सारांश देखें ।

भाषा की बात :
प्रश्न 1. 'वह सोमन की तरफ टुकुर-टुकुर देखने लगा।' इस वाक्य में टुकुर-टुकुर देखने का क्या मतलब है? 

देखने के इन तरीकों में क्या अंतर है ? इनका मतलब समझाने के लिए निम्नलिखित शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए:
अपलक देखना
टेढ़ी नज़र से देखना
टकटकी लगाना
घूरना
निहारना
था।
आँखें फाड़कर देखना
उत्तर-
'टुकुर-टुकुर देखना' का मतलब एकटक देखते रहना है।
घूरना - यात्री घूर घूरकर मोहन को देख रहा था ।
अपलक देखना – मीरा कृष्ण की मूर्ति की ओर अपलक देखती रही थी ।
टेढ़ी नज़र से देखना – सिपाही बदमाश को टेढ़ी नज़र से देखने लगा।
निहारना—माँ अपने सलोने शिशु को बार-बार निहारती रहती है।
टकटकी लगाना - माँ अपने पुत्र के वापस आने की प्रतीक्षा में टकटकी लगाए बैठी थी ।
आँखें फाड़कर देखना – विदेश से आए भाई को बहन आँखें फाड़कर देखने लगी ।

प्रश्न 2. नीचे दिए गए वाक्यों के रेखांकित शब्दों के बदले ऐसे
शब्दों का प्रयोग करते हुए वाक्यों को दुबारा लिखिए कि उनका मतलब न बदले :
(क) वह दोपहर को विश्राम करता था ।
उत्तर – वह दोपहर को आराम करता था ।
(ख) वह ताड़ के पंखे बेचकर अपने परिवार का भरण-पोष
करता था ।
उत्तर – वह ताड़ के पंखे बेचकर अपने परिवार का पालन-पोषण करता
(ग) आज तुम भी संतोष करो ।
उत्तर — आज तुम भी मन मारकर रह जाओ।
(घ) सोमन सकुचाते हुए बोला ।
उत्तर – सोमन लजाते हुए बोला ।
प्रश्न 3. नीचे दिए गए वाक्यों को पढ़िए:
*इस पर सोमन की आँखें खुल गईं।
* सारी बात जानकर सोमन की आँखें खुल गईं ।
दोनों वाक्यों में आँखें खुल गईं के अर्थ में अंतर है।
पहले वाक्य में आँखें खुल गईं का मतलब जागने से है जबकि दूसरे वाक्य में आँखें खुल गई का मतलब सच्चाई का पता लगने से है। दूसरे वाक्य में आँखें खुल गईं एक मुहावरा है।

नीचे दिए गए मुहावरों का वाक्यों में प्रयोग करते हुए उनके मतलब बताइए :
आँखें लगना, आँखों पर पर्दा पड़ना, आँखें फैलना, आँखें चुराना,आँखें दिखाना, आँखों की किरकिरी होना ।
उत्तर :
आँखें लगना – पेड़ की शीतल छाया में बैठते ही मोहन की आँखें लग गईं।
आँखों पर पर्दा पड़ना - सोहन की आँखों पर पर्दा पड़ गया है इसीलिए पुत्र की शरारत पर विश्वास नहीं करता ।
आँखें फैलना- घर आए पुराने मित्र को आँखें फैलाकर देखने लगे।
आँखें चुराना-पिता को आते देखकर राम ने आँखें चुरा लीं।
आँखें दिखाना – मैं आपका नौकर नहीं हूँ कि आँखें दिखाते हैं।
आँखों की किरकिरी होना – रघु अपनी शैतानी के कारण आँख की किरकरी हो गया है।

प्रश्न 4. नीचे दिए वाक्यों में रेखांकित अक्षरों में लिखे सर्वनाम
किसके लिए आए हैं, लिखिए :
उत्तर :
वाक्य किसके लिए
(क) लेकिन वह क्या करता ? सोमन के लिए
(ख) उसने पपीते को छुआ नहीं। सोमन के लिए
(ग) तब तो मैं मनुष्य हूँ । भ्रदपुरुष के लिए
(घ) ये तुम्हारे हैं। सोमन के लिए


आपकी कल्पना :
प्रश्न 1. 'उपकार का बदला' शीर्षक कहानी की किसी एक घटना को संवाद के रूप में लिखिए ।
उत्तर- संकेत : छात्र स्वयं लिखें ।

प्रश्न 2. अपने दोस्त को सोमन और बंदर के बारे में बताते हुए
एक पत्र लिखिए ।
उत्तर :
दरभंगा
प्रिय मित्र नयन, 04.04.12
नमस्ते !
कुशल हूँ। तुम्हारी कुशलता की कामना करता हूँ। इस पत्र में तुम्हें मनुष्य
एवं जानवर की मित्रता के विषय में लिख रहा हूँ। सोमन नाम का आदमी
पंखे बेचकर जीविका चलाता था। गर्मी के दिनों में दोपहर के समय एक पेड़
के नीचे विश्राम करता था और खाता-पीता भी था। उसी पेड़ के आस-पास
एक बगीचा था जिसमें बंदरों का समूह था। उसी समूह में से एक बंदर उस
पेड़ के पास आता था, जहाँ सोमन आराम करता था। सोमन बंदर को नित्य
अपने खाना में से कुछ-न-कुछ अवश्य देता था। एक दिन पंखा नहीं बिका,
इसलिए वह पानी पीकर सो गया। बंदर उसे उदास देखकर उसके दो पंखे
लेकर एक भद्रपुरुष के घर चला गया। उसके दरवाजे पर पंखे फेंककर उसी
के पपीते के पेड़ से एक अधपका पपीता तोड़कर ले आया और सोमन की
ओर लुढ़का दिया। जब तक उसने पपीता नहीं उठाया, उस पर खोखियाता
रहा। पपीता उठाते ही बंदर शांत हो गया। इसके बाद सोमन ने पपीता
छीलकर स्वयं खाया तथा बंदर को भी खिलाया। देखो मित्र जब जानवर
उपकार के प्रति कृतज्ञ होता है तो हमें तो होना ही चाहिए, क्योंकि हम
विवेकशील प्राणी हैं। शेष फिर ।
तुम्हारा अभिन्न
अंशु

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