Bihar Board Class 7 Hindi Kisalya Solutions Chapter 15 ऐसे ऐसे Text Book Questions and Answers and Summary
Bihar Board Class 7 Hindi Solutions Chapter 15 ऐसे ऐसे
प्रश्न और अभ्यास : प्रश्नोत्तर
पाठ से :
Aise Aise Class 7 Question Answer प्रश्न 1.
माँ मोहन के 'ऐसे-ऐसे' कहने पर क्यों घबरा रही थी ?
उत्तर - माँ मोहन के 'ऐसे-ऐसे' कहने पर इसलिए घबरा रही थी क्योंकि इस प्रकार की बीमारी का नाम उसने कभी नहीं सुना था | मोहन ने न तो अंट-शंट खाया था, न उसका पेट गड़गड़ करता था, न पेट में गोला-सा फूटता था, फिर पेट में दर्द और बेचैनी ! माँ हींग, चूरन, पिपरंमिंट खिला चुकी थी । लेकिन मोहन के दर्द यानी 'ऐसे-ऐसे' में कोई कमी नहीं आई, बल्कि उसका ‘ऐसे-ऐसे’ बढ़ता ही जा रहा था । इस प्रकार उसका चेहरा उतर गया था ।मोहन के ऐसे आचरण से माँ को अंदेशा हो रहा था कि मेरे बेटे को कोई बीमारी हो गई है। इसीलिए वह घबरा रही थी ।
उत्तर – बच्चे अक्सर जब स्कूल का काम पूरा नहीं करते हैं तो मार से बचने के लिए अथवा अवकाश पाकर काम पूरा करने के लिए पेट दर्द, सिरं दर्द, बुखार, माँ की बीमारी, छोटे भाई की बीमारी आदि-आदि कहकर अपने शिक्षक की मार से बचने का बहाना बनाते हैं। शिक्षक उनके इन बहाने को सुनते ही समझ जाते हैं कि मार से बचने के लिए बच्चे ऐसा बता रहे हैं।
पाठ से आगे :
प्रश्न 1. स्कूल के काम से बचने के लिए मोहन ने कई बार पेट में ‘ऐसे-ऐसे’ होने के बहाने बनाए । मान लो, एक बार उसे सचमुच पेट में दर्द हो गया और उसकी बातों पर लोगों ने विश्वास नहीं किया, तब मोहन पर क्या बीती होगी ?
उत्तर – स्कूल के काम से बचने के लिए जब कोई झूठा बहाना बारबार बनाता है और एकबार उसे सचमुच पेट में दर्द हो जाता है तो उसके साथ 'भेड़िया आया, भेड़िया आया' वाली कहावत साबित होगी। जिस प्रकार गड़ेरिया के झूठ बोलने के कारण लोगों का विश्वास उठ गया । फलतः भेड़िया जब आया और उसने आवाज लगाई तो सहायता के लिए कोई नहीं आया और वह भेड़िया द्वारा मारा गया । उसी प्रकार जब कोई पेट दर्द का बहाना बनाता है तो सचमुच में पेट दर्द होने पर उसकी बातों पर लोग ध्यान नहीं देंगे, फलतः उसका जीवन खतरा में पड़ सकता है । मोहन ने 'ऐसे-ऐसे' का बहाना बनाया होगा लेकिन जब उसे सचमुच में दर्द हुआ होगा तो उसकी हालत अति गंभीर हो गई होगी । वह अपने किए पर अफसोस करने लगा होगा कि झूठा बहाना बनाना ठीक नहीं है ।
प्रश्न 2. पाठ में आए वाक्य 'लोचा- लोचा फिरे हैं' के बदले 'ढीला-ढाला हो गया है या बहुत कमजोर हो गया है' लिखा जा सकता है। लेकिन, लेखक ने संवाद में विशेषता लाने के लिए बोलियों के रंग-ढंग का उपयोग किया है । इस पाठ में इस तरह की अन्य पंक्तियाँ भी हैं, जैसे-
– इत्ती नयी-नयी बीमारियाँ निकली हैं,
– राम मारी बीमारियों ने तंग कर दिया,
– तेरे पेट में तो बहुत बड़ी दाढ़ी है।
अनुमान लगाओ, इन पंक्तियों को दूसरे ढंग से कैसे लिखा जा सकता है ?
उत्तर - इन पंक्तियों को निम्न प्रकार लिखा जा सकता है :
– इतनी नई-नई बीमारियाँ होने लगी हैं।
– मैं बीमारियों से तंग आ चुकी हूँ ।
– तुम तो बड़े धूर्त्त हो ।
प्रश्न 3. मान लीजिए कि आप मोहन की तबीयत पूछने जाते हैं । आप अपने और मोहन के बीच की बातचीत को संवाद के रूप में लिखिए ।
संकेत : छात्र स्वयं करें ।
प्रश्न 4. संकट के समय के लिए कौन-कौन से नंबर याद रखे
जाने चाहिए ? ऐसे वक्त में पुलिस, फायर ब्रिगेड और डॉक्टर से आप कैसे बात करेंगे ? कक्षा में करके बताइए ।
संकेत : छात्र स्वयं करें ।
गतिविधि :
मास्टर — स्कूल का काम तो पूरा कर लिया है ? (मोहन हाँ में सिर हिलाता है।)
मोहन — जी, सब काम पूरा कर लिया है। इस स्थिति में नाटक का अंत क्या होता ? लिखिए।
उत्तर - इस स्थिति में नाटक का अंत दुःखद होता, क्योंकि ‘ऐसे-ऐसे' नाम की बीमारी से सभी अपरिचित थे । सभी इस बात से परेशान हो जाते कि ‘ऐसे-ऐसे' बीमारी का इलाज कहाँ तथा किससे कराया जाए आदि-आदि । फलतः नाटक का अंत दुखान्त होता ।